October 23, 2025
Hindi Hindi

दुर्ग। शौर्यपथ।  इस बार दीपावली से पहले ही शहर के दीये बुझने की चिंता आम हो चुकी है। नगर निगम दुर्ग का हाल ऐसा है कि उजाले का उत्सव अब सिर्फ एक ओर झुक गया है — महापौर श्रीमती अलका बाघमार के निवास की ओर। शहर की सड़कों, ठेकेदारों के घरों और कार्यालयों में अंधकार और निराशा पसरी है, जबकि महापौर निवास पर रोशनी के झरने और सजावटें यह बता रही हैं कि सत्ता का उत्सव जनता की भावनाओं से अलग राह पर बढ़ चला है।कभी शहर की जनता ने बहुत विश्वास और उम्मीद के साथ श्रीमती अलका बाघमार को चुना था। जनता का मानना था कि यह नाम दुर्ग के विकास का नया अध्याय लिखेगा, पर अब वही जनता अपने ही निर्णय पर मौन पछतावा व्यक्त कर रही है।

दरअसल, नगर निगम दुर्ग के इतिहास में यह पहला कार्यकाल है जब जनता, ठेकेदार और अधिकारी-कर्मचारी—तीनों ही वर्ग एक साथ हतोत्साहित और निराश नजर आ रहे हैं। ऐसा सामूहिक अवसाद पहले कभी किसी महापौर के कार्यकाल में देखने को नहीं मिला।शहर के हालात खुद बयान दे रहे हैं —

सड़कों पर गड्ढे आम दृश्य बन चुके हैं, गलियों में कचरे के ढेर सजावटी झालरों का मज़ाक उड़ाते हैं, आवारा पशु रात्रि प्रहरी बने बैठे हैं, और प्रशासन बस ‘दीये जलाओ, सच्चाई मत दिखाओ’ की नीति पर चलता दिख रहा है।वित्तीय मोर्चे पर स्थिति और भी गंभीर है — ठेकेदार महीनों से भुगतान की प्रतीक्षा में हैं। सूत्रों के अनुसार, इस बार दीपावली के पहले उन्हें मात्र 20 से 30 प्रतिशत रकम ही दी जा सकेगी। बाकी रकम का कोई स्पष्ट उत्तर नहीं। इस कारण ठेकेदारों के पास न तो मजदूरी बांटने को धन है, न अपने घरों में दीये जलाने की हिम्मत।फिर भी, महापौर के आवास पर इस बार दीपों का उत्सव पहले से कहीं अधिक चमकदार रहेगा। आखिरकार प्रोटोकॉल का आनंद उजाले की गारंटी देता है, और विकास कार्यों की अधूरी फाइलें उस प्रकाश में शायद कम ही दिखाई देती हैं।

बाघमार जी के नेतृत्व में नगर सरकार के कार्यक्रम भले ही फोटो फ्रेम में परफेक्ट दिखते हों, पर जमीनी शहर बदहाली के अंधेरे में डूबा है।जनता आज यही सोच रही है —

"जिनके घर में बिजली हर वक्त रहती है, उन्हें शहर के अंधेरे का एहसास कैसे होगा?"

दिवाली का यह विरोधाभास पूरे शहर में गूंज रहा है — महापौर की जगमग दिवाली और शहर की बुझी उम्मीदें।इतिहास के पन्नों में यह वर्ष शायद उसी नाम से याद किया जाएगा —

जब नगर निगम दुर्ग की महापौर श्रीमती अलका बाघमार के नेतृत्व में विकास नहीं, बल्कि हताशा ने रिकॉर्ड बनाया।फिलहाल, शहर की दीवारें अब भी रोशनी के इंतजार में हैं,

और जनता अब भी यह उम्मीद संजोए हुए है कि कभी ऐसा सवेरा आएगा जब दीप सबके घर जलेंगे — न कि सिर्फ सत्ता के घर।

जगदलपुर, शौर्यपथ। राज्य शासन की व्यापक नक्सल उन्मूलन नीति और शांति, संवाद एवं विकास पर केंद्रित सतत प्रयासों के परिणामस्वरूप बस्तर संभाग में आज नक्सल विरोधी मुहिम को ऐतिहासिक सफलता मिली है। ‘पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन’ कार्यक्रम के अंतर्गत दण्डकारण्य क्षेत्र के 210 माओवादी कैडरों ने हिंसा का मार्ग त्यागकर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है।

यह आत्मसमर्पण विश्वास, सुरक्षा और विकास की दिशा में बस्तर की नई सुबह का संकेत है। लंबे समय से नक्सली गतिविधियों से प्रभावित अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर क्षेत्र में यह ऐतिहासिक घटनाक्रम नक्सल उन्मूलन अभियान के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ के रूप में दर्ज होगा।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य शासन द्वारा अपनाई गई व्यापक नक्सल उन्मूलन नीति ने क्षेत्र में स्थायी शांति की मजबूत नींव रखी है। पुलिस, सुरक्षा बलों, स्थानीय प्रशासन, सामाजिक संगठनों और सजग नागरिकों के समन्वित प्रयासों से हिंसा की संस्कृति को संवाद और विकास की संस्कृति में परिवर्तित किया जा सका है।

यह पहली बार है जब नक्सल विरोधी अभियान के इतिहास में इतनी बड़ी संख्या में वरिष्ठ माओवादी कैडरों ने एक साथ आत्मसमर्पण किया है। आत्मसमर्पण करने वालों में एक सेंट्रल कमेटी सदस्य, चार डीकेएसजेडसी सदस्य, 21 डिविजनल कमेटी सदस्य सहित अनेक वरिष्ठ माओवादी नेता शामिल हैं। इन कैडरों ने कुल 153 अत्याधुनिक हथियार—जिनमें AK-47, SLR, INSAS रायफल और LMG शामिल हैं—समर्पित किए हैं। यह केवल हथियारों का समर्पण नहीं, बल्कि हिंसा और भय के युग का प्रतीकात्मक अंत है—एक ऐसी घोषणा, जो बस्तर में शांति और भरोसे के युग की शुरुआत का संकेत देती है।

मुख्यधारा में लौटने वाले प्रमुख माओवादी नेताओं में सीसीएम रूपेश उर्फ सतीश, डीकेएसजेडसी सदस्य भास्कर उर्फ राजमन मांडवी, रनीता, राजू सलाम, धन्नू वेत्ती उर्फ संतू, आरसीएम रतन एलम सहित कई वांछित और इनामी कैडर शामिल हैं। इन सभी ने संविधान पर आस्था व्यक्त करते हुए लोकतांत्रिक व्यवस्था में सम्मानजनक जीवन जीने का संकल्प लिया।

यह ऐतिहासिक आयोजन जगदलपुर पुलिस लाइन परिसर में हुआ, जहाँ आत्मसमर्पित कैडरों का स्वागत पारंपरिक मांझी-चालकी विधि से किया गया। उन्हें संविधान की प्रति और शांति, प्रेम एवं नए जीवन का प्रतीक लाल गुलाब भेंट कर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अरुण देव गौतम ने कहा कि “पूना मारगेम केवल नक्सलवाद से दूरी बनाने का प्रयास नहीं, बल्कि जीवन को नई दिशा देने का अवसर है। जो आज लौटे हैं, वे बस्तर में शांति, विकास और विश्वास के दूत बनेंगे।” उन्होंने आत्मसमर्पित कैडरों से समाज निर्माण में अपनी ऊर्जा लगाने का आह्वान किया।

इस अवसर पर एडीजी (नक्सल ऑपरेशन्स) विवेकानंद सिन्हा, सीआरपीएफ बस्तर रेंज प्रभारी, कमिश्नर डोमन सिंह, बस्तर रेंज आईजी सुंदरराज पी., कलेक्टर हरिस एस., बस्तर संभाग के सभी पुलिस अधीक्षक, वरिष्ठ अधिकारी और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

कार्यक्रम के दौरान पुलिस विभाग द्वारा आत्मसमर्पित माओवादियों को पुनर्वास सहायता राशि, आवास और आजीविका योजनाओं की जानकारी दी गई। राज्य शासन इन युवाओं को स्वरोजगार, कौशल विकास और शिक्षा से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि वे आत्मनिर्भर और सम्मानजनक जीवन जी सकें।

मांझी-चालकी प्रतिनिधियों ने कहा कि बस्तर की परंपरा सदैव प्रेम, सहअस्तित्व और शांति का संदेश देती रही है। जो साथी अब लौटे हैं, वे इस परंपरा को नई शक्ति देंगे और समाज में विश्वास की नींव को और मजबूत करेंगे।

कार्यक्रम के अंत में सभी आत्मसमर्पित कैडरों ने संविधान की शपथ लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की। उन्होंने प्रतिज्ञा ली कि वे अब हिंसा के बजाय विकास और राष्ट्रनिर्माण की दिशा में योगदान देंगे।

‘वंदे मातरम्’ की गूंज के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। यह क्षण केवल 210 माओवादी कैडरों के आत्मसमर्पण का नहीं, बल्कि बस्तर में विश्वास, विकास और शांति के नए युग की शुरुआत का प्रतीक बन गया।

भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना के गन्ना उत्पादक किसानों को 11.09 करोड़ रुपये का बोनस भुगतान

रायपुर / शौर्यपथ /

उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा के सतत प्रयासों एवं किसान हितैषी दृष्टिकोण के परिणामस्वरूप भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना कवर्धा द्वारा जिले के गन्ना उत्पादक किसानों को दीपावली पर्व के अवसर पर बड़ा आर्थिक लाभ प्रदान किया गया है। कारखाना प्रबंधन द्वारा पिछले पेराई सत्र में गन्ना विक्रय करने वाले किसानों को शासन की ओर से 11.09 करोड़ रुपये का बोनस भुगतान किया गया है। यह बोनस भुगतान उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा के विशेष पहल एवं प्रयासों से संभव हुआ है। उनके नेतृत्व में किसानों के हितों को सर्वाेच्च प्राथमिकता देते हुए समयबद्ध भुगतान और बोनस वितरण सुनिश्चित किया गया है।

भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना कवर्धा ने पेराई सत्र 2024-25 के दौरान किसानों से खरीदे गए गन्ने का 115.44 करोड़ रुपये का संपूर्ण भुगतान कर प्रदेश की सभी शुगर मिलों में अग्रणी स्थान प्राप्त किया है। यह उपलब्धि कारखाने की पारदर्शी कार्यप्रणाली, कुशल प्रबंधन एवं सहकारिता की सुदृढ़ भावना का परिचायक है। दीपावली से पूर्व किसानों को बोनस भुगतान प्राप्त होने से पूरे जिले के कृषक समुदाय में हर्ष एवं उत्साह का वातावरण व्याप्त है। बोनस राशि के भुगतान न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाएगी, बल्कि किसानों का विश्वास को और अधिक मजबूत करेगी।

1.11 लाख रूपये की कर चुकी हैं बिक्री

  गौरेला पेंड्रा मरवाही / शौर्यपथ / प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की आत्मनिर्भर भारत की संकल्प को पूरा करने की दिशा में स्वसहायता समूह की महिलाएं अपनी योगदान दे रहीं हैं। दीपावली पर्व के अवसर पर कलात्मक दीयों और पूजा सामग्री का निर्माण करके स्थानीय हाट बाजारों में बिक्री करके समृद्ध हो रहीं हैं। जिला प्रशासन एवं ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से पेंड्रा जनपद की पांच महिला स्वसहायता समूहों की 12 महिलाएं मिलकर अब तक 70 हजार मिट्टी के दीये तैयार कर लिए हैं। इसके साथ ही अगरबत्ती, बाती एवं तोरण तैयार कर स्थानीय बाजारों-कोटमी, नवागांव और कोड़गार हाट बाजार में बेच रही हैं। समूह द्वारा निर्मित दीये रायपुर में आयोजित सरस मेला में भी प्रदर्शित किया गया है और बेचे भी जा रहे हैं। समूह द्वारा अब तक 1 लाख 11 हजार 500 रूपये की दीयों एवं पूजा सामग्री का बिक्री की जा चुकी है।
   समूह की सदस्य ग्राम झाबर निवासी श्रीमती क्रांति पुरी ने बताया कि इस काम से उन्हें करीब 9 हजार रुपये का मुनाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष की दिवाली उनके लिए बहुत खास बन गई है और वे इस आय से काफी खुश हैं। ब्लॉक मिशन प्रबंधक सुश्री मंदाकिनी कोसरिया ने जानकारी दी कि इस कार्य से सीधे तौर पर पांच महिला स्वसहायता समूहों के परिवारों को आर्थिक लाभ मिल रहा है। इससे महिलाएं न सिर्फ आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने में भी सक्षम हो रही हैं। यह पहल न केवल स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन कर रही है, बल्कि परंपरागत दीयों के उपयोग को भी बढ़ावा दे रही है। मिट्टी के दीयों की बिक्री से जहां महिलाओं की आमदनी बढ़ी है, वहीं पर्यावरण के लिए भी अनुकूल विकल्प है।

रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ में बस्तर वन मंडल के आसना में राज्य के पहले वन विज्ञान केन्द्र की स्थापना की जायेगी। राष्ट्रीय कैम्पा मिशन भारत सरकार द्वारा इसकी स्वीकृति दे दी गई है। राष्ट्रीय कैम्पा की 23वीं क्रियान्वयन समिति की बैठक में पायलट बेसेस पर झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़िसा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और मध्यप्रदेश में एक-एक वन विज्ञान केन्द्र शुरू करने का निर्णय लिया गया है। छत्तीसगढ़ में बस्तर के आसना में वन विज्ञान केन्द्र शुरू होगा। इसके संचालन, प्रशिक्षण और पाठ्यक्रमों के निर्धारण के लिए मुख्य वन संरक्षक जगदलपुर वृत्त की अध्यक्षता में प्रदेश स्तरीय सलाहकार समिति का गठन किया गया है। इस समिति में 8 विषय विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया है।

वन विज्ञान केन्द्र की सलाहकार समिति में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति डॉ. गिरिश चंदेल सहित जशपुर के श्री राजेश गुप्ता, शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय बस्तर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजीवन कुमार, रायपुर के श्री गिरीश कुबेर, श्री राजीव शर्मा, डॉ. एम.एल. नायक, श्री सुबोध मनोहर पांडे और पूणे महाराष्ट्र के डॉ. राहुल मुंगीकर को शामिल किया गया हैै। सरगुजा वृत्त के मुख्य वनसंरक्षक भी समिति के सदस्य होंगे। बस्तर के वन मंडलाधिकारी को समिति का सदस्य सचिव मनोनित किया गया है। समिति में नामांकित विषय विशेषज्ञों को वन विज्ञान केन्द्र के संचालन, प्रशिक्षण और पाठ्यक्रम निर्धारण में सहयोग के लिए किसी प्रकार का मानदेय या वेतन नहीं दिया जायेगा।

मैदानों में दिखा जोश, अनुशासन और सौहार्द का अनोखा संगम — 126 खिलाड़ियों ने लिया हिस्सा

दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग नगर पालिक निगम क्षेत्र में आयोजित सांसद खेल महोत्सव 2025 का समापन उत्साह, ऊर्जा और उमंग से भरे माहौल में हुआ।
दो दिवसीय इस आयोजन में शहर के विभिन्न मैदानों पर आधुनिक और पारंपरिक खेलों की झलक देखने को मिली।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महापौर श्रीमती अलका बाघमार ने खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए कहा —

“खेल न केवल शरीर को स्वस्थ रखते हैं बल्कि मन को दृढ़ बनाते हैं। युवा पीढ़ी को खेलों से जुड़कर अनुशासन, आत्मविश्वास और टीम भावना को अपनाना चाहिए। खेल समाज में एकता और सहयोग का प्रतीक हैं।”

? मैदानों में जोश और प्रतिस्पर्धा का माहौल

महोत्सव का आयोजन महात्मा गांधी स्कूल मैदान, सुराना कॉलेज मैदान और रविशंकर स्टेडियम में किया गया।
दो दिनों तक मैदानों में खिलाड़ियों और दर्शकों की गूंज से पूरा नगर खेलमय बना रहा।
आधुनिक खेलों में वॉलीबॉल, कुश्ती, वेटलिफ्टिंग, योगासन, एथलेटिक्स (100 व 400 मीटर दौड़) जैसी प्रतिस्पर्धाएँ हुईं,
जबकि पारंपरिक खेलों में कबड्डी, खो-खो, गेड़ी (पुरुष वर्ग), फुगड़ी और सुरीली कुर्सी (महिला वर्ग) ने दर्शकों का मन मोह लिया।

? तीन आयु वर्गों में हुआ रोमांचक मुकाबला

प्रतियोगिताओं को तीन आयु वर्गों में विभाजित किया गया —
18 वर्ष तक, 18 से 40 वर्ष तक, और 40 वर्ष से अधिक आयु समूह।
हर वर्ग में खिलाड़ियों ने उत्साह और खेल भावना से हिस्सा लिया।
एकल खेलों में बोरा दौड़, पैदल चाल, 100 मीटर दौड़ जैसी प्रतियोगिताएँ हुईं,
जबकि टीम स्पर्धाओं में रस्साकशी, फुटबॉल, कबड्डी और वॉलीबॉल के मुकाबलों ने रोमांच बढ़ा दिया।

? विजेताओं की उपलब्धियाँ

दो दिवसीय खेल पर्व में कुल 126 खिलाड़ियों ने भाग लिया और 95 खिलाड़ियों ने जीत दर्ज की।

वेटलिफ्टिंग: 8 बॉयज, 6 गर्ल्स

कुश्ती: 12 बॉयज, 5 गर्ल्स (कुल 31 विजेता)

खो-खो: 54 प्रतिभागी

कबड्डी: 35 खिलाड़ियों का शानदार प्रदर्शन

वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं की सक्रिय भागीदारी ने यह संदेश दिया कि —

“खेल उम्र नहीं, बल्कि उत्साह की पहचान हैं।”

? समापन समारोह में सम्मान और प्रेरणा के स्वर

15 अक्टूबर को आयोजित समापन समारोह में महापौर अलका बाघमार ने सभी प्रतिभागियों को बधाई देते हुए कहा —

“खेलों के माध्यम से व्यक्ति न केवल शारीरिक रूप से सशक्त बनता है, बल्कि आत्मविश्वास, अनुशासन और सहयोग की भावना भी विकसित करता है। ऐसे आयोजन समाज में नई ऊर्जा का संचार करते हैं।”

इस अवसर पर उपायुक्त मोहेंद्र साहू, कार्यपालन अभियंता विनीता वर्मा, गिरीश दीवान, संजय ठाकुर, हरिशंकर साहू, विनोद मांझी, मोहित मरकाम, पंकज साहू, विकास दमाहे, प्रेरणा दुबे सहित नगर निगम के अधिकारी, कर्मचारी और जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।

? खेल भावना से सराबोर रहा दुर्ग नगर

दो दिनों तक दुर्ग नगर के मैदानों में उत्सव जैसा माहौल रहा।
हर ओर से यही संदेश गूंजता रहा —

“खेल से खिलते हैं सपने, और जीतता है आत्मविश्वास।”

सांसद खेल महोत्सव 2025 ने यह साबित किया कि जब युवा मैदान में उतरते हैं,
तो पूरा शहर उत्सव और प्रेरणा के रंगों में रंग जाता है।

अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह ‘छोटू’ ने भेंट स्वरूप तलवार प्रदान कर लिया आशीर्वाद

भिलाई / शौर्यपथ / भिलाई ट्रक ट्रेलर ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह ‘छोटू’ ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष आदरणीय डॉ. रमन सिंह से उनके जन्मदिन के शुभ अवसर पर सौजन्य भेंट की।
  इस अवसर पर श्री सिंह ने उन्हें जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ प्रेषित कीं और उपहार स्वरूप एक प्रतीकात्मक तलवार भेंट कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।
  मुलाकात के दौरान भिलाई ट्रक ट्रेलर ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन के संरक्षक गनी खान, सुधीर सिंह ठाकुर, महेन्द्र सिंह, अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह ‘छोटू’, कार्यकारिणी अध्यक्ष अनिल चौधरी, महासचिव मलकीत सिंह, उपाध्यक्ष मुन्ना सिंह, सचिव बलजीन्दर सिंह, कोषाध्यक्ष जोगा राव, तथा सदस्य दिलीप खटवानी, शाहनवाज कुरैशी, निर्मल सिंह, सुनील चौधरी, अमित सिंह, सुनील यादव, वाजिद अंसारी, प्रेम सिंह, विनय अग्रवाल, संतोष सिंह, रोशन लाल वर्मा, यश सिंह, सोम सिंह, यशराज सिंह, राम धनि यादव एवं संजय शर्मा उपस्थित रहे।
 इस सौहार्दपूर्ण अवसर पर डॉ. रमन सिंह ने सभी पदाधिकारियों एवं सदस्यों का आभार व्यक्त किया और कहा कि परिवहन क्षेत्र राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। उन्होंने संगठन को अपने कार्यों में निरंतर प्रगति एवं सफलता की शुभकामनाएँ दीं।
  मुलाकात के दौरान एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने डॉ. रमन सिंह के साथ स्मृति चित्र भी लिए।

बीएआरसी और आईजीकेवी के संयुक्त प्रयास से विकसित किस्म किसानों के लिए वरदान साबित होगी

बिलासपुर / शौर्यपथ /
दिव्यांग सोनी की ख़ास रिपोर्ट

   कृषि विज्ञान केन्द्र, बिलासपुर द्वारा बीएआरसी-आईजीकेवी के सहयोग से विकसित धान की उत्परिवर्तित किस्म ‘विक्रम-टीसीआर’ के लोकप्रियकरण एवं प्रसार के उद्देश्य से एक दिवसीय प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन कृषि महाविद्यालय, बिलासपुर के सभागार में किया गया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. गीत शर्मा के मार्गदर्शन में हुआ।

धान की किस्म ‘विक्रम-टीसीआर’ के विशेष गुण
मुख्य अतिथि डॉ. पी.ए. हसन, निदेशक, जैव विज्ञान समूह, भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र (बीएआरसी), मुंबई ने किसानों को संबोधित करते हुए बताया कि यह धान की किस्म अधिक उपज देने वाली है,रोगरोधी है,कम अवधि में तैयार होती है, तथा मध्यम ऊँचाई के कारण फसल के गिरने की समस्या से मुक्त रहती है।उन्होंने कहा कि यह किस्म किसानों की कई व्यावहारिक समस्याओं का समाधान प्रदान करती है।

दलहन-तिलहन में भी नयी संभावनाएँ
डॉ. ए.डी. बलाल, प्रमुख, परमाणु कृषि एवं जैव-प्रौद्योगिकी प्रभाग, बीएआरसी, मुंबई ने जानकारी दी कि धान के अतिरिक्त अब दलहन एवं तिलहन फसलों की नई किस्में भी विकसित की जा रही हैं, जो जल्द ही किसानों को उपलब्ध कराई जाएंगी।

उपज बढ़ाने की तकनीकें
डॉ. दीपक शर्मा, प्राध्यापक एवं प्रमुख, पादप प्रजनन एवं अनुवांशिकी विभाग, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर ने किसानों को बताया कि विक्रम-टीसीआर किस्म से अधिकतम उपज प्राप्त करने के लिए कौन-सी तकनीकें और कृषि पद्धतियाँ अपनाई जाएं।

किसानों को प्रोत्साहन और सम्मान
डॉ. बी.के. दास, प्रमुख, केन्द्रीय सुधार अनुभाग, बीएआरसी, मुंबई ने किसानों से इस धान किस्म का अधिकाधिक क्षेत्रफल में उत्पादन बढ़ाने का आह्वान किया।
कार्यक्रम में प्रगतिशील कृषक राघवेन्द्र सिंह चंदेल को ‘विक्रम-टीसीआर’ धान किस्म के प्रचार-प्रसार में योगदान हेतु प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

अधिष्ठाताओं ने साझा किए अनुभव
डॉ. एन.के. चौरे, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय, बिलासपुर;
डॉ. एस.एल. स्वामी, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय, लोरमी; एवं
डॉ. संजय वर्मा, मुख्य वैज्ञानिक, क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केन्द्र, बिलासपुर
ने किसानों को इस किस्म को अपनाने हेतु प्रोत्साहित किया और इसके तुलनात्मक लाभ बताए।

कार्यक्रम संचालन
कार्यक्रम का संचालन डॉ. शिल्पा कौशिक ने किया तथा आभार प्रदर्शन डॉ. निवेदिता पाठक द्वारा किया गया।इस अवसर पर डॉ. शिल्पा कौशिक, डॉ. एकता ताम्रकार, इंजी. पंकज मिंज, डॉ. निवेदिता पाठक, डॉ. चंचला रानी पटेल, सुशीला ओहदार, हेमकांति बंजारे, डॉ. स्वाति शर्मा, संतोश वर्मा, इंद्रराम पटेल सहित कृषि विभाग के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी एवं अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे।

उल्लेखनीय-‘विक्रम-टीसीआर’ धान किस्म का विकास भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र (BARC) द्वारा म्यूटेशन ब्रिडिंग तकनीक से किया गया है। यह किस्म जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के अनुरूप टिकाऊ, उच्च उत्पादनक्षम और किसान हितैषी मानी जा रही है।

बिलासपुर / शौर्यपथ /
दिव्यांग सोनी की ख़ास रिपोर्ट

    उच्च शिक्षा के लिए संभाग का सबसे बड़ा शैक्षणिक संस्थान सी.एम. दुबे स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बिलासपुर में छात्रों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है। आज़ाद पैनल छात्रसंघ के नेतृत्व में छात्रों ने कॉलेज प्रांगण में धरना प्रदर्शन करते हुए प्राचार्य का पुतला दहन किया और कॉलेज प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाज़ी की।
छात्रों का कहना है कि कॉलेज प्रशासन ने प्रवेश के समय आकर्षक विज्ञापनों के माध्यम से छात्रों को झूठे वादों और प्रलोभनों के आधार पर एडमिशन दिलाया, लेकिन प्रवेश के बाद न तो सुविधाएँ दीं, न ही शैक्षणिक माहौल में सुधार किया गया।
 *स्वच्छता की हालत बद से बदतर*
आज़ाद पैनल ने यह भी आरोप लगाया कि कॉलेज परिसर में स्वच्छता की स्थिति बेहद खराब है। महाविद्यालय भवन के अंदर ही केवल कुछ डस्टबिन लगाए गए हैं, जबकि कॉलेज प्रांगण, गलियारों और अन्य आधिकारिक क्षेत्रों में कचरे के ढेर लगे रहते हैं।
छात्रों ने तंज कसते हुए कहा कि —
“जब कॉलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना टीम का मूल उद्देश्य ही स्वच्छता और सामाजिक जिम्मेदारी है, तब ऐसे हालात शर्मनाक हैं। एन एस एस के दस्य स्वच्छता जागरूकता की जगह फोटोशूट तक सीमित हैं।”
 *नकल प्रकरण में नियमों की खुली धज्जियाँ*
छात्रों ने बताया कि हाल ही में हुई परीक्षा में बीकॉमअंतिम वर्ष के कुछ छात्रों द्वारा मोबाइल फ़ोन का उपयोग कर अपने परिचितों को उत्तर साझा किए गए। यह परीक्षा नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है, क्योंकि परीक्षा कक्ष में मोबाइल फ़ोन ले जाना पूर्णतः वर्जित है।
इसके बावजूद कुछ शिक्षकों ने इस गंभीर उल्लंघन को नज़रअंदाज़ कर दिया, जिससे नकल प्रकरण को बढ़ावा मिला।
 *छात्रसंघ की चेतावनी: अब आर-पार की लड़ाई*
धरने में उपस्थित आज़ाद पैनल के प्रमुख छात्र नेताओंने कॉलेज प्रशासन को चेतावनी दी कि—
“यदि 7 दिनों के भीतर छात्रों से किए गए वादे पूरे नहीं किए गए और दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन को राज्य स्तर तक विस्तारित किया जाएगा। हम शांत हैं, पर कमजोर नहीं।”
 *आज़ाद पैनल की प्रमुख मांगे:*
कॉलेज प्रांगण एवं सभी विभागों में स्वच्छता सुनिश्चित कर पर्याप्त डस्टबिन लगाए जाएँ।
नकल प्रकरण में दोषी छात्रों व शिक्षकों पर सख्त कार्रवाई हो।
छात्रों से दुर्व्यवहार करने वाले कर्मचारियों से सार्वजनिक क्षमायाचना करवाई जाए।
प्रवेश विज्ञापनों में किए गए झूठे वादों की जांच की जाए और पारदर्शी छात्र समिति गठित की जाए।
अंत में आज़ाद पैनल ने कहा —
“यह आंदोलन केवल कॉलेज के लिए नहीं, बल्कि शिक्षा की सच्चाई और छात्र सम्मान की लड़ाई है। जब तक न्याय नहीं मिलेगा, तब तक धरना, प्रदर्शन और विरोध जारी रहेगा।”

Page 3 of 2168

हमारा शौर्य

हमारे बारे मे

whatsapp-image-2020-06-03-at-11.08.16-pm.jpeg
 
CHIEF EDITOR -  SHARAD PANSARI
CONTECT NO.  -  8962936808
EMAIL ID         -  shouryapath12@gmail.com
Address           -  SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)